कोविड 19 : अब तक का सफ़र और आगे की चुनौतियाँ
Speaker: Dr Rajiv Kumar, Vice Chairman, NITI Aayog
Facilitator: Ravi Pokharna, Strategy, I-CAN
Compiled by: Sudhanshu Shekhar
Date: 30th May 2020
कॉन्वर्सेशन के प्रथम भाग में वर्तमान परिस्थिति में स्वयंसेवी संस्थाओं और स्वयंसेवकों के योगदान के बारे में चर्चा की गई जिसमें विभिन्न स्वयंसेवी संघों व स्वयंसेवकों द्वारा किए जा रहे सहायता कार्य से जुड़ी हुई कुछ वीडियो डॉ. राजेश कुमार को दिखाई गईं। प्रथम वीडियो में अक्षयपात्र के CEO श्रीधर वेंकट ने अक्षय-पात्र द्वारा पिछले 57 दिनों में चार करोड़ 92 लाख लोगों तक पका हुआ भोजन व राशन सामग्री पहुंचाने के कार्य की जानकारी दी। दूसरी वीडियो में आर्ट ऑफ लिविंग व IAHB की ओर से दर्शक हाथी ने पिछले दो महीनों में दैनिक भत्ता मजदूरों के लिए किए गए सहायता कार्यों की जानकारी दी जिसमें 25 लाख परिवारों के करीब 8 करोड़ लोगों की पका हुआ भोजन, पीपीई किट्स, राशन सामग्री, मेडिकल सामग्री आदि देकर मदद की गई। एक अन्य वीडियो द्वारा राष्ट्रीय सेवक संघ के द्वारा 20 मई तक करीब 8.25 करोड़ लोगों को भोजन प्रदान किए जाने की जानकारी दी गई। राष्ट्रीय सेवक संघ की ‘जन कल्याण समिति’ के पुणे महानगर के कार्यकर्ता सुनील खेडकर ने भी 368 डॉक्टरों की मदद से ‘आरोग्य रक्षा सेवा अभियान’ चलाकर लगभग 1 लाख से अधिक लोगों की टेस्टिंग करने, दवाइयां प्रदान करने की मदद की जानकारी दी। उड़ीसा के एक आरएसएस कार्यकर्ता धनेश्वर जैना के द्वारा अपने बच्चे की पढ़ाई के लिए एकत्र किए गए करीब डेढ़ लाख रुपए से लोगों के लिए किचन शुरू किए जाने और इस अभियान को आगे बढ़ाकर पिछले 40 दिनों से 1200-1300 लोगों को भोजन दिए जाने के सहायता कार्य की जानकारी दी। इसके अतिरिक्त धनेश्वर करीब 16000 लोगों को ट्रेन की सुविधा मुहैया कराकर अपने गांव वापस भेजने में भी मदद कर चुके हैं। मुंबई में केशव सृष्टि के माध्यम से प्रबोधिनी कैंपस में 40 दिन से लगभग 1लाख लोगों को रोजाना भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है।
उपरोक्त जानकारी को सुनने के बाद डॉ राजीव कुमार ने इन सभी स्वयंसेवी संस्थाओं व व्यक्तिगत प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि इस समय अधिकांशत मीडिया में नकारात्मकता फैली हुई है, जिससे लोग हताश हो रहे हैं। परंतु स्वयंसेवी संस्थाओं व स्वयंसेवकों के स्वार्थहीन प्रयास देश के लिए बहुत बड़ी सकारात्मक मदद हैं। इन्होंने इस कठिन परिस्थिति में अपने स्वार्थ को पीछे छोड़कर मानव सेवा को अपना धर्म समझा और ज़रूरतमंदों व मुसीबत में फंसे लोगों की मदद की। इससे लगभग 15-16 करोड़ लोगों तक सहायता पहुंची है, जो कि एक बहुत सराहनीय कार्य है। सरकार भी राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत बीपीएल परिवार को दिए जाने वाली कीमत पर स्वयं सेवी संस्थाओं को राशन सामग्री उपलब्ध कराने के प्रयास कर रही है। इस प्रकार डॉ. राजीव कुमार ने स्वयंसेवी संगठनों, स्वतंत्र स्वयंसेवकों तथा सरकार सभी के एक साथ मिलकर काम करने के पक्ष में अपने विचार रखे। साथ ही उन्होंने पुराने समय से देश में काम कर रहे स्वयंसेवी संगठनों के कार्य को प्रसंशित करते हुए सभी स्वयंसेवी संगठनों को डेवलपमेंट पार्टनर्स बनाकर सरकार के साथ चलने के समर्थन में अपना पक्ष दिया।
दूसरे भाग में अर्थव्यवस्था को पुनः खोलने के प्रयासों के संदर्भ में कुछ ऐसे क्षेत्र जो मुख्यधारा में उतने सक्रिय रूप से शामिल नहीं है, उनकी समस्याओं को रवि पोखरना द्वारा डॉ. राजीव कुमार के सामने रखा गया। इसमें कोचिंग क्लास क्षेत्र की ओर से महाराष्ट्र क्लास ओनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सचिन करनावत ने कोचिंग क्लास इंडस्ट्री को खोलने व सरकार की ओर से अपेक्षित मदद के बारे में सवाल किया। साथ ही ‘इंडियन होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन’ के सलाहकार अरविंद सेट्टी ने भी सरकार से अपेक्षित मदद के बारे में प्रश्न किया। जावेद हबीब ने बार्बर समुदाय की परेशानियों को सामने रखते हुए 3 करोड सैलूनों से जुड़े हुए करीब 9 करोड लोगों की जीविकोपार्जन संबंधी समस्या का जिक्र करते हुए सरकार से मदद की अपील की। ‘जेम्स एंड ज्वेलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल’ के निदेशक ने भी सरकार से प्रार्थना की कि अन्य देशों, खासकर अमेरिका में जिस सामग्री की बिक्री नहीं हुई है, उसे बिना किसी ड्यूटी के वापस लाने की अनुमति की अपील की तथा सेबी व अन्य रेटिंग एजेंसियों के द्वारा इस क्षेत्र के बारे में नकारात्मकता फैलाए जाने से रोकने की भी अपील की। इन सभी सवालों के जवाब देते हुए डॉ राजीव कुमार ने कोचिंग क्लासेस के बारे में कहा कि अब कोचिंग क्लासेज को हाइब्रिड शिक्षा पद्धति की ओर बढ़ना चाहिए। जिसमें ऑनलाइन-ऑफलाइन क्लासेस के माध्यम से शिक्षा को प्रारंभ करना चाहिए। उसके लिए सरकार आर्थिक मदद व ऋण समय सीमा में बढ़ोतरी करने के प्रयास करेगी। फंड्स ऑफ़ फंड्स में भी 50 लाख करोड रुपए की राशि दी गई है। जिसमें से निवेश लेकर कोचिंग सेंटर अथवा अन्य शिक्षण संस्थान मदद ले सकते हैं। परंतु साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि बड़े समूहों में शिक्षा का प्रारंभ होने के भी आसार कम हैं। होटल व रस्टोरेंट क्षेत्र के बारे में डॉ. राजीव कुमार ने कहा कि अभी भी लगभग 93% क्षेत्र एमएसएमई क्षेत्र के अंतर्गत आता है और इस क्षेत्र से जुड़े लोगों की मदद करने की सरकार से नीति आयोग ने सिफारिश की है। जेम्स एंड ज्वेलरी क्षेत्र के लोगों के लिए राजीव कुमार ने कहा कि वे मिलकर अपनी समस्या के बारे में उन्हें पत्र लिखें। उस पत्र को राजीव कुमार राजस्व विभाग से अनुमोदित करवाकर सुविधा मुहैया कराने का प्रयास करेंगे। सैलून व उससे जुड़े लोगों के लिए राजीव कुमार ने कहा कि यह क्षेत्र ऐसा है जिसमें राज्य सरकार की भागीदारी अधिक सहायक सिद्ध होगी। इसलिए राज्य सरकारों को इस क्षेत्र में सहायता मुहैया करानी चाहिए। इसके अतिरिक्त बिना किसी कॉलेटरल के ऋण की सुविधा दी गई है जिसका प्रयोग करके और अपनी सुविधाओं की गुणवत्ता में बढ़ोतरी करके क्षेत्र में कार्य किया जा सकता है।
अंतिम भाग में डॉ. राजीव कुमार से ‘आत्मनिर्भर भारत’ व ‘वोकल फोर लोकल’ जैसी पहलों के विभिन्न पहलुओं व उनमें स्वयंसेवी संगठनों की भागीदारी के बारे में चर्चा की। इस बारे में डॉ. राजीव कुमार का मानना है कि हमें क्षेत्रीय उत्पादन और अच्छी गुणवत्ता वाले उत्पादों के प्रयोग को बढ़ावा देना चाहिए। अपनी अधिकांश जरूरतों को क्षेत्रीय उत्पादन से ही पूरा करने का प्रयास करना चाहिए। इससे आत्मनिर्भरता में बढ़ोतरी होगी। पर्यटन क्षेत्र की क्षमता को भी बढ़ाने के संबंध में प्रयास किए जाने चाहिए। भारत में कृषि क्षेत्र का केवल 10% उत्पादन ही प्रोसेस होता है बाकी का उपयोग कच्चे रूप में ही होता है। अगर प्रोसेसिंग का प्रतिशत बढ़ा दिया जाए तो उसका लाभ किसानों को भी होगा। कोविड-19 की वजह से लोग पोषण के प्रति जागरूक हुए हैं और उसके लिए क्षेत्रीय उत्पादों का प्रयोग किया जा सकता है। इसके साथ साथ क्षेत्रीय उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ले जाकर, उनकी गुणवत्ता बढ़ाकर निर्यात को बढ़ावा देना चाहिए तथा अधिक से अधिक वस्तुओं का उत्पादन देश में करके आयात पर निर्भरता कम करने का प्रयास करना चाहिए। यह सारे कदम देश को आत्मकेंद्रित नहीं बल्कि आत्मनिर्भर बनने की ओर अग्रसरित करेंगे।
अंत में रवि पोखरना द्वारा मजदूरों के पलायन के बारे में सरकार की योजनाओं के संबंध में प्रश्न किए जाने पर डॉ. राजीव कुमार ने कहा कि मजदूरों के साथ जो हुआ वह बेहद दुखद है, नहीं होना चाहिए था। परंतु अब शहरीकरण व केंद्रीकरण की परिभाषाओं का पुनः अवलोकन करने की आवश्यकता है। स्वयंसेवी संस्थाओं ने इस परिस्थिति में मजदूर वर्ग की बहुत सहायता की है और सरकार भी इसके लिए कदम उठा रही है। सरकार ने मनरेगा आवंटन को 40 हजार करोड़ से बढ़ाकर एक लाख करोड़ किया है ताकि सबको अपने क्षेत्र में ही रोजगार मिले। ‘वन नेशन वन राशन’ कार्ड की सुविधा देने की ओर सरकार प्रयासरत है। ‘स्लम डेवलपमेंट एजेंसी’ को भी तेजी से बढ़ावा दिए जाने की आवश्यकता है ताकि शहरी मजदूरों को यथाशीघ्र काम मिले। इसके अतिरिक्त 13 हजार करोड़ की राशि केंद्र ने राज्य सरकारों को भी दी है ताकि वह इस क्षेत्र में सहायता करें। केंद्र व राज्य सरकारें मजदूर वर्ग को जरूरी सुविधाएं देने के लिए साथ मिलकर कार्य करने के लिए कटिबद्ध है।
अंत में डॉ. राजीव कुमार ने स्वयंसेवी संस्थाओं को देश के सभी जिलों से जोड़कर, जिलाधीश के कार्यालय में स्वयंसेवी संगठनों के कार्यालय को स्थान देकर देश के सभी स्वयंसेवी संस्थानों को सरकार के साथ जोड़ने का सुझाव रखा। ये नीति आयोग के एसडीजी लक्ष्यों के आधार पर केंद्र के साथ तथा क्षैतिज स्तर पर जिलों के साथ सभी स्वयं सहायता समूह को जोड़कर इनको सरकार के साथ मिलकर काम करने का प्रयास करने के पक्ष में हैं । इस प्रकार डॉ. राजीव ने सभी क्षेत्रों की समस्याओं को सुनते हुए तथा उनसे जुड़े सरकार के प्रयासों की जानकारी देते हुए देश की जनता, स्वयंसेवी संगठनों व सरकार सभी को मिलकर इस परिस्थिति से लड़ने के लिए प्रोत्साहित किया।